विचार

अखिल भारतीय मंगल मैत्री महासंघ रजि.। द्वारा आयोजित।
धम्म प्रशिक्षण शिविर:- अपील

प्रिय भाईयो/बहनों
प्रकृति ने सभी मानव प्राणियों में समानता,स्वतंत्रता,सम्मान,स्वाभिमान,न्याय,संपन्न और आध्यात्मिकता श्रेष्ठ जीवन जीकर संसार से मुक्ति की भूख दी है। किंतु कुछ स्वार्थी लोगों ने धर्म के नाम पर,आदर्श सामाजिक व्यवस्था का नाम देकर ,मानव समाज में ऊंच-नीच जातिवाद का घृणित बीज बोया और बहुसंख्यक समाज को मानवीय मौलिक अधिकारों से वंचित कर उनके मूल गुण को ही नष्ट कर दिया। जो मानवता के लिए कलंक सिद्ध हुआ। इस घॄणित व्यवस्था को सर्वप्रथम भगवान बुद्ध ने नष्ट करने का प्रयास किया और प्रज्ञा, करुणा, मैत्री, सदाचार का संदेश देकर संपूर्ण मानवता को मानवीय मौलिक अधिकार दिए एवं इस विचारधारा को फैलाने के लिए भिक्षु संघ का निर्माण किया, सभी मानव समाज को समानता एकता तथा शांति से जीने का संदेश दिया।जिसके कारण भारत ही नहीं एशिया महाद्वीप बौद्धमय हो गया, महान सम्राट अशोक ने बुद्ध धम्म नीति पर चलकर बृहद भारत का निर्माण कर भारत को सोने की चिड़िया और विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त कराया। कालांतर में पुनः स्वार्थियों ने भारत में जातिवाद, सांप्रदायिक ,धर्मांधता के नाम पर मानवता को कुचल दिया। इस भयावह काल में भी महान संतों, गुरुओं ने समतामूलक समाज के लिए साहस पूर्वक कार्य किया जैसे संत रविदास, कबीर दास, गुरु नानक, ज्योतिराव फूले, संत गाडगे, नारायण गुरु, पेरियार रामास्वामी नायकर,छत्रपति शाहूजी महाराज, बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आदि। बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने मानसिक गुलामी को मनुष्य के स्वाभिमान में सबसे घातक माना, वह गुलाम होते हुए भी उसे गुलामी का एहसास नहीं होता । यह गुलामी अंधविश्वास पाखंड वादी सामाजिक संस्कृति से पैदा होती है। अनुसूचित जाति, जनजाति ,पिछड़ा वर्ग के भाईयों/ बहनों आरक्षण से पद, पैसा,प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है किंतु सामाजिक समानता नहीं, इसके लिए एक ऐसी सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था की आवश्यकता है जो समतामूलक समाज की बात करती हो और प्रत्येक व्यक्ति के चौमुखी विकास का अवसर प्रदान करती हो।उस व्यवस्था का नाम है श्रमण संस्कृति। बाबा साहब ने इसे हमें भगवान बुद्ध और उनका धम्म के नाम से दिया। इस व्यवस्था से हमारा अंतरजातीय, अंतरराष्ट्रीय, अंतरधर्मी भाईचारा बढ़ेगा, विराट सभ्यता संस्कृति से जुड़ेंगे, मानसिक गुलामी से मुक्त होंगे, सभी विकास के मार्ग खुलेंगे, विश्व स्तरीय भाईचारा श्रवण संस्कृति के एक विशाल जनसमूह का निर्माण होगा। मानसिक गुलामी की मुक्ति के बिना आत्म मुक्ति नहीं मिलेगी ,तो आओ हम सब मिलकर इस विषमता को मिटाने के लिए अपनी सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा देकर अपने पुरखों की विरासत को हांसिल कर,जाति विहीन करुणा,मैत्री पर आधारित समृद्ध भारत का निर्माण करें, बुद्ध का धम्म ही सम्यक है, तार्किक ,वैज्ञानिक संश्लेषण विश्लेषण पर आधारित है । बुद्ध धम्म की यही पहचान, मानव मानव एक समान। बाबा साहेब की अंतिम इच्छा, बौद्ध धर्म की ले लो दीक्षा। बुध्दधम्म ही बहुजन हिताय बहुजन सुखाय ,प्राणी अनुकूल एवं संविधान संम्मत है ।इसके प्रचार-प्रसार और श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए लिए धम्म का प्रशिक्षण लें तथा मनुष्य जीवन को सार्थक बनाएं। संस्कार ही मनुष्य का श्रृंगार है, संस्कार से ही संस्कृति और समाज का निर्माण होता है। समाज में बौद्ध धर्मसंस्कार और संस्कृति के प्रचारकों का अभाव है। इसके लिए बौद्ध भिक्षुऔं , बौद्धचार्यों की अति आवश्यकता है ।तो आओ हम धम्म प्रशिक्षण लेकर श्रेष्ठ जीवन जीओ और जीने दो के लिए कार्य करें। इसी क्रम में दूसरी बार 10 दिवसीय आवासीय धम्म प्रशिक्षण शिविर का आयोजन माॅं बैकुंटी देवी सर्वोदय इंटर कॉलेज हाथरस रोड टेडी बगिया पर किया गया है। भिक्षु व बौद्धाचार्य के लिए केश मुंडन कर प्रशिक्षण के दौरान चीवर में रहना अनिवार्य होगा। और उपासक/ उपासिकाऔं को सफेद पोशाक में रहना होगा। प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को ₹1000 का आर्थिक सहयोग संस्था के अंकित बैंक खाते में जमा कर करना होगा। आवेदन निर्धारित प्रारूप पर अंतिम दिनांक 20 मई 2023 तक लिया जाएगा। खाता संख्या 40653404286, IFS Code : SBINOO15446 शाखा- स्टेट बैंक, संजय पैलेस आगरा-2

नोट:-प्रशिक्षण पूज्य भिक्षु भदंत शीलानंद महाथेरा, राष्ट्रीय प्रमुख (धम्म संस्कार प्रकोष्ठ) अखिल भारतीय मंगल मैत्री महासंघ द्वारा एवं सुयोग्य भिक्षु व भिक्षुणिओं द्वारा दिया जाएगा। प्रशिक्षण उपरांत दिनांक 31 मई 2023 को दीक्षांत समारोह का आयोजन होगा, जिसमें परीक्षा उपरांत धम्म दीक्षा प्रमाण पत्र एवं बौद्धाचार्य का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। आप सादर आमंत्रित हैं। इस पुनीत कार्य में आप अपना तन मन धन से और जीवन उपयोगी सामग्री दान देकर धम्म लाभ कमाएं। भवतु सब्ब मंगलम

निवेदक

एड0 जसवंत सिंह राना पूर्व जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता
संस्थापक/ अध्यक्ष
अखिल भारतीय मंगल मैत्री महासंघ रजि0
9457870659, 9359941497, 9897329333

अखिल भारतीय मंगल मैत्री महासंघ रजि.। द्वारा आयोजित।
धम्म प्रशिक्षण शिविर:- अपील

प्रिय भाईयो/बहनों
प्रकृति ने सभी मानव प्राणियों में समानता,स्वतंत्रता,सम्मान,स्वाभिमान,न्याय,संपन्न और आध्यात्मिकता श्रेष्ठ जीवन जीकर संसार से मुक्ति की भूख दी है। किंतु कुछ स्वार्थी लोगों ने धर्म के नाम पर,आदर्श सामाजिक व्यवस्था का नाम देकर ,मानव समाज में ऊंच-नीच जातिवाद का घृणित बीज बोया और बहुसंख्यक समाज को मानवीय मौलिक अधिकारों से वंचित कर उनके मूल गुण को ही नष्ट कर दिया। जो मानवता के लिए कलंक सिद्ध हुआ। इस घॄणित व्यवस्था को सर्वप्रथम भगवान बुद्ध ने नष्ट करने का प्रयास किया और प्रज्ञा, करुणा, मैत्री, सदाचार का संदेश देकर संपूर्ण मानवता को मानवीय मौलिक अधिकार दिए एवं इस विचारधारा को फैलाने के लिए भिक्षु संघ का निर्माण किया, सभी मानव समाज को समानता एकता तथा शांति से जीने का संदेश दिया।जिसके कारण भारत ही नहीं एशिया महाद्वीप बौद्धमय हो गया, महान सम्राट अशोक ने बुद्ध धम्म नीति पर चलकर बृहद भारत का निर्माण कर भारत को सोने की चिड़िया और विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त कराया। कालांतर में पुनः स्वार्थियों ने भारत में जातिवाद, सांप्रदायिक ,धर्मांधता के नाम पर मानवता को कुचल दिया। इस भयावह काल में भी महान संतों, गुरुओं ने समतामूलक समाज के लिए साहस पूर्वक कार्य किया जैसे संत रविदास, कबीर दास, गुरु नानक, ज्योतिराव फूले, संत गाडगे, नारायण गुरु, पेरियार रामास्वामी नायकर,छत्रपति शाहूजी महाराज, बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आदि। बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने मानसिक गुलामी को मनुष्य के स्वाभिमान में सबसे घातक माना, वह गुलाम होते हुए भी उसे गुलामी का एहसास नहीं होता । यह गुलामी अंधविश्वास पाखंड वादी सामाजिक संस्कृति से पैदा होती है। अनुसूचित जाति, जनजाति ,पिछड़ा वर्ग के भाईयों/ बहनों आरक्षण से पद, पैसा,प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है किंतु सामाजिक समानता नहीं, इसके लिए एक ऐसी सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था की आवश्यकता है जो समतामूलक समाज की बात करती हो और प्रत्येक व्यक्ति के चौमुखी विकास का अवसर प्रदान करती हो।उस व्यवस्था का नाम है श्रमण संस्कृति। बाबा साहब ने इसे हमें भगवान बुद्ध और उनका धम्म के नाम से दिया। इस व्यवस्था से हमारा अंतरजातीय, अंतरराष्ट्रीय, अंतरधर्मी भाईचारा बढ़ेगा, विराट सभ्यता संस्कृति से जुड़ेंगे, मानसिक गुलामी से मुक्त होंगे, सभी विकास के मार्ग खुलेंगे, विश्व स्तरीय भाईचारा श्रवण संस्कृति के एक विशाल जनसमूह का निर्माण होगा। मानसिक गुलामी की मुक्ति के बिना आत्म मुक्ति नहीं मिलेगी ,तो आओ हम सब मिलकर इस विषमता को मिटाने के लिए अपनी सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा देकर अपने पुरखों की विरासत को हांसिल कर,जाति विहीन करुणा,मैत्री पर आधारित समृद्ध भारत का निर्माण करें, बुद्ध का धम्म ही सम्यक है, तार्किक ,वैज्ञानिक संश्लेषण विश्लेषण पर आधारित है । बुद्ध धम्म की यही पहचान, मानव मानव एक समान। बाबा साहेब की अंतिम इच्छा, बौद्ध धर्म की ले लो दीक्षा। बुध्दधम्म ही बहुजन हिताय बहुजन सुखाय ,प्राणी अनुकूल एवं संविधान संम्मत है ।इसके प्रचार-प्रसार और श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए लिए धम्म का प्रशिक्षण लें तथा मनुष्य जीवन को सार्थक बनाएं। संस्कार ही मनुष्य का श्रृंगार है, संस्कार से ही संस्कृति और समाज का निर्माण होता है। समाज में बौद्ध धर्मसंस्कार और संस्कृति के प्रचारकों का अभाव है। इसके लिए बौद्ध भिक्षुऔं , बौद्धचार्यों की अति आवश्यकता है ।तो आओ हम धम्म प्रशिक्षण लेकर श्रेष्ठ जीवन जीओ और जीने दो के लिए कार्य करें। इसी क्रम में दूसरी बार 10 दिवसीय आवासीय धम्म प्रशिक्षण शिविर का आयोजन माॅं बैकुंटी देवी सर्वोदय इंटर कॉलेज हाथरस रोड टेडी बगिया पर किया गया है। भिक्षु व बौद्धाचार्य के लिए केश मुंडन कर प्रशिक्षण के दौरान चीवर में रहना अनिवार्य होगा। और उपासक/ उपासिकाऔं को सफेद पोशाक में रहना होगा। प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को ₹1000 का आर्थिक सहयोग संस्था के अंकित बैंक खाते में जमा कर करना होगा। आवेदन निर्धारित प्रारूप पर अंतिम दिनांक 20 मई 2023 तक लिया जाएगा। खाता संख्या 40653404286, IFS Code : SBINOO15446 शाखा- स्टेट बैंक, संजय पैलेस आगरा-2

नोट:-प्रशिक्षण पूज्य भिक्षु भदंत शीलानंद महाथेरा, राष्ट्रीय प्रमुख (धम्म संस्कार प्रकोष्ठ) अखिल भारतीय मंगल मैत्री महासंघ द्वारा एवं सुयोग्य भिक्षु व भिक्षुणिओं द्वारा दिया जाएगा। प्रशिक्षण उपरांत दिनांक 31 मई 2023 को दीक्षांत समारोह का आयोजन होगा, जिसमें परीक्षा उपरांत धम्म दीक्षा प्रमाण पत्र एवं बौद्धाचार्य का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। आप सादर आमंत्रित हैं। इस पुनीत कार्य में आप अपना तन मन धन से और जीवन उपयोगी सामग्री दान देकर धम्म लाभ कमाएं। भवतु सब्ब मंगलम

निवेदक

एड0 जसवंत सिंह राना पूर्व जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता
संस्थापक/ अध्यक्ष
अखिल भारतीय मंगल मैत्री महासंघ रजि0
9457870659, 9359941497, 9897329333

अखिल भारतीय मंगल मैत्री महासंघ रजि.। द्वारा आयोजित।
धम्म प्रशिक्षण शिविर:- अपील

प्रिय भाईयो/बहनों
प्रकृति ने सभी मानव प्राणियों में समानता,स्वतंत्रता,सम्मान,स्वाभिमान,न्याय,संपन्न और आध्यात्मिकता श्रेष्ठ जीवन जीकर संसार से मुक्ति की भूख दी है। किंतु कुछ स्वार्थी लोगों ने धर्म के नाम पर,आदर्श सामाजिक व्यवस्था का नाम देकर ,मानव समाज में ऊंच-नीच जातिवाद का घृणित बीज बोया और बहुसंख्यक समाज को मानवीय मौलिक अधिकारों से वंचित कर उनके मूल गुण को ही नष्ट कर दिया। जो मानवता के लिए कलंक सिद्ध हुआ। इस घॄणित व्यवस्था को सर्वप्रथम भगवान बुद्ध ने नष्ट करने का प्रयास किया और प्रज्ञा, करुणा, मैत्री, सदाचार का संदेश देकर संपूर्ण मानवता को मानवीय मौलिक अधिकार दिए एवं इस विचारधारा को फैलाने के लिए भिक्षु संघ का निर्माण किया, सभी मानव समाज को समानता एकता तथा शांति से जीने का संदेश दिया।जिसके कारण भारत ही नहीं एशिया महाद्वीप बौद्धमय हो गया, महान सम्राट अशोक ने बुद्ध धम्म नीति पर चलकर बृहद भारत का निर्माण कर भारत को सोने की चिड़िया और विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त कराया। कालांतर में पुनः स्वार्थियों ने भारत में जातिवाद, सांप्रदायिक ,धर्मांधता के नाम पर मानवता को कुचल दिया। इस भयावह काल में भी महान संतों, गुरुओं ने समतामूलक समाज के लिए साहस पूर्वक कार्य किया जैसे संत रविदास, कबीर दास, गुरु नानक, ज्योतिराव फूले, संत गाडगे, नारायण गुरु, पेरियार रामास्वामी नायकर,छत्रपति शाहूजी महाराज, बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आदि। बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने मानसिक गुलामी को मनुष्य के स्वाभिमान में सबसे घातक माना, वह गुलाम होते हुए भी उसे गुलामी का एहसास नहीं होता । यह गुलामी अंधविश्वास पाखंड वादी सामाजिक संस्कृति से पैदा होती है। अनुसूचित जाति, जनजाति ,पिछड़ा वर्ग के भाईयों/ बहनों आरक्षण से पद, पैसा,प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है किंतु सामाजिक समानता नहीं, इसके लिए एक ऐसी सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था की आवश्यकता है जो समतामूलक समाज की बात करती हो और प्रत्येक व्यक्ति के चौमुखी विकास का अवसर प्रदान करती हो।उस व्यवस्था का नाम है श्रमण संस्कृति। बाबा साहब ने इसे हमें भगवान बुद्ध और उनका धम्म के नाम से दिया। इस व्यवस्था से हमारा अंतरजातीय, अंतरराष्ट्रीय, अंतरधर्मी भाईचारा बढ़ेगा, विराट सभ्यता संस्कृति से जुड़ेंगे, मानसिक गुलामी से मुक्त होंगे, सभी विकास के मार्ग खुलेंगे, विश्व स्तरीय भाईचारा श्रवण संस्कृति के एक विशाल जनसमूह का निर्माण होगा। मानसिक गुलामी की मुक्ति के बिना आत्म मुक्ति नहीं मिलेगी ,तो आओ हम सब मिलकर इस विषमता को मिटाने के लिए अपनी सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा देकर अपने पुरखों की विरासत को हांसिल कर,जाति विहीन करुणा,मैत्री पर आधारित समृद्ध भारत का निर्माण करें, बुद्ध का धम्म ही सम्यक है, तार्किक ,वैज्ञानिक संश्लेषण विश्लेषण पर आधारित है । बुद्ध धम्म की यही पहचान, मानव मानव एक समान। बाबा साहेब की अंतिम इच्छा, बौद्ध धर्म की ले लो दीक्षा। बुध्दधम्म ही बहुजन हिताय बहुजन सुखाय ,प्राणी अनुकूल एवं संविधान संम्मत है ।इसके प्रचार-प्रसार और श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए लिए धम्म का प्रशिक्षण लें तथा मनुष्य जीवन को सार्थक बनाएं। संस्कार ही मनुष्य का श्रृंगार है, संस्कार से ही संस्कृति और समाज का निर्माण होता है। समाज में बौद्ध धर्मसंस्कार और संस्कृति के प्रचारकों का अभाव है। इसके लिए बौद्ध भिक्षुऔं , बौद्धचार्यों की अति आवश्यकता है ।तो आओ हम धम्म प्रशिक्षण लेकर श्रेष्ठ जीवन जीओ और जीने दो के लिए कार्य करें। इसी क्रम में दूसरी बार 10 दिवसीय आवासीय धम्म प्रशिक्षण शिविर का आयोजन माॅं बैकुंटी देवी सर्वोदय इंटर कॉलेज हाथरस रोड टेडी बगिया पर किया गया है। भिक्षु व बौद्धाचार्य के लिए केश मुंडन कर प्रशिक्षण के दौरान चीवर में रहना अनिवार्य होगा। और उपासक/ उपासिकाऔं को सफेद पोशाक में रहना होगा। प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को ₹1000 का आर्थिक सहयोग संस्था के अंकित बैंक खाते में जमा कर करना होगा। आवेदन निर्धारित प्रारूप पर अंतिम दिनांक 20 मई 2023 तक लिया जाएगा। खाता संख्या 40653404286, IFS Code : SBINOO15446 शाखा- स्टेट बैंक, संजय पैलेस आगरा-2

नोट:-प्रशिक्षण पूज्य भिक्षु भदंत शीलानंद महाथेरा, राष्ट्रीय प्रमुख (धम्म संस्कार प्रकोष्ठ) अखिल भारतीय मंगल मैत्री महासंघ द्वारा एवं सुयोग्य भिक्षु व भिक्षुणिओं द्वारा दिया जाएगा। प्रशिक्षण उपरांत दिनांक 31 मई 2023 को दीक्षांत समारोह का आयोजन होगा, जिसमें परीक्षा उपरांत धम्म दीक्षा प्रमाण पत्र एवं बौद्धाचार्य का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। आप सादर आमंत्रित हैं। इस पुनीत कार्य में आप अपना तन मन धन से और जीवन उपयोगी सामग्री दान देकर धम्म लाभ कमाएं। भवतु सब्ब मंगलम

निवेदक

एड0 जसवंत सिंह राना पूर्व जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता
संस्थापक/ अध्यक्ष
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